लौट जाती है उधर को भी नजर क्या कीजे - कुमार अम्बुज
एडिनबर्ग वर्ड राइटर्स कांफ्रेंस, त्रिनिदाद में मुख्य वक्ता के तौर पर दिए गए ओलिव सीनियर के ने कहा था, “राजनीति! व्यग्रता इस पद के संकीर्ण उपयोग से पैदा होती है. हम अक्सर राजनीति को पार्टीगत राजनीति,...
View Articleअमित उपमन्यु की ताज़ा कविता
अमित की कविताएँ आप पहले भी असुविधा पर पढ़चुके हैं. लेकिन यह कविता अपनी भाषा और अपने बनक में पिछली कविताओं से काफी अलग है. बल्कि यों कहूँ कि यह आज में ज़्यादा विन्यस्त है. यह सहज भी है कि जिस तरह की...
View Articleनिदा नवाज़ की कविताएँ
निदाकश्मीर में रहते हैं. बल्कि यह कहना बेहतर होगा कि दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा में रहते हैं ; एक ऐसे इलाक़े में जहाँ लोगों को अब कभी भी गोलियाँ चलने या ग्रेनेड फटने की आदत सी पड़ चुकी है. वह ख़ुद इनका...
View Articleसन्तोष कुमार चतुर्वेदी की कुछ नई कविताएँ
संतोष कुमार चतुर्वेदी उस परम्परा के कवि हैं जहाँ लोक और जन दो अलग अलग श्रेणी नहीं अपितु एकमेक होकर सामने आते हैं. उन्हें पढ़ते हुए क़स्बाई संवेदना का ग्लोबल विस्तार लगातार महसूस होता है और इसीलिए भाषा...
View Articleकुलदीप कुमार की कविताएँ
कुलदीप कुमार एक इतिहास मर्मज्ञ पत्रकार के रूप में जाने जाते हैं और संगीत में उनकी गहरी रुचि से ख़ासतौर पर अंग्रेज़ी अख़बारों के पाठक बख़ूबी परिचित हैं. लेकिन यह कम ही लोग जानते हैं कि उन्होंने शुरुआत एक...
View Articleसमानांतर साहित्य उत्सव की एक रपट - अनिमेष जोशी
रवीन्द्र मंच पर गुलज़ार हुए शब्दमावठ के बाद सर्दी ने अपने पाँव फिर से पसारे! और देखते ही देखते समूचे राजस्थान पर इसका प्रभाव दिखाई पड़ा. जनवरी के आखरी सप्ताह में जयपुर में तीन दिवसीय समानंतर साहित्य...
View Articleपखेरू जानते हैं : वसंत सकरगाए
वसंत सकरगाए जीवन जगत की बेहद साधारण वस्तुओं में असाधारणता रोप देने वाले कवि हैं. अपने अलमस्त और लगभग लापरवाह स्वभाव के विपरीत कविताओं में वह बेहद सावधान हैं, लेकिन यह चालाक नहीं मासूम सावधानी है एक...
View Articleजोशी बोलकर लिखवाता है न! : पुस्तक अंश : पालतू बोहेमियन
हाल ही में आई प्रभात रंजनकी किताब "पालतू बोहेमियन"खूब चर्चा में है. प्रभात बहुधन्धी रचनाकार हैं. कहानियों से पहचान बनाई, फिर मार्केज़ पर एक शानदार किताब लिखी, मुजफ्फरपुर की 'कोठागोई'पर रोचक और श्रमसाध्य...
View Articleपापा, हम हिंदू हैं कि मुसलमान?' : शानी की कहानी युद्ध
आज शानी का जन्मदिन है. शानी यानी सतत असुविधा का लेखक. मेरी पीढ़ी के लोगों का उनसे परिचय शायद दूरदर्शन पर आये धारावाहिक "काला जल"से हुआ हो, मेरा तो उसी से हुआ था. उपन्यास बाद में पढ़ा. कभी परमानंद...
View Articleवो सोयेगा क्यों, जो है सबको जगाता : कविता में गाँधी
इंटरनेट से साभारगाँधी हमारे लोकजीवन में कुछ इस क़दर विन्यस्त हैं कि वह अपनेहोने से अधिक व्याप्त हैं. वह एक हकीक़त हैं तो एक मिथक भी जिनसे हम जो सीखना चाहते हैं सीख लेते हैं. उन पर हमलों के दौर में आज...
View Articleसुनहरे दिनों की यात्रा में आपका स्वागत है : मनोज कुमार पाण्डेय की कहानी
‘तो आइए मेहरबान अभी भीतर बहुत सारी जगह है...’ माइक पर आवाज लगाते हुए हरकारे ने पूरी ताकत से चिल्लाकर कहा। लगातार चिल्लाते हुए उसका गला खराब हो गया था और कुछ इस तरह से आवाज निकल रही थी जैसे फटे हुए ढोल...
View Articleअक्षत सेठ की दो कविताएँ
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से मीडिया स्टडीज़ में पीएचडी कर रहे अक्षत उन अर्थों में तो कवि एकदम नहीं हैं, जिन्हें सोशल मीडिया विस्फोट ने परिभाषित किया है. मसलन आप उनकी फेसबुक टाइमलाइन पर अक्सर कविता...
View Articleकथन का नया अंक : भारत में शिक्षा की दशा और दिशा पर विशेष
"कथन"लघुपत्रिका आन्दोलन के दौर की उन पत्रिकाओं में से है जिनसे हमारी पीढ़ी और उसके पहले की पीढ़ी के कई लोगों ने एक लेखक के तौर पर अपनी शुरुआत ही नहीं की बल्कि साहित्य, समाज और राजनीति की आरम्भिक ट्रेनिंग...
View Articleकुमार अंबुज की नई कविता : हम में से हर दूसरा आदमी अपराधियों का वोटर है
वक़्त बदल गया है और सारी सुन्दर चीज़ें जैसे असुंदर के स्थापन में लगी हैं. हर तरफ़ सब इतना शांत और सहज है कि असुविधा पैदा करता है. देखते ही देखते श्लीलता अश्लीलता में बदलती चली गई और जैसे यह बदलाव किसी...
View Articleअश्वेत जगत से स्त्री कविता
Faith Ringgold की पेंटिंग फॉर द विमेंस हाउसयहाँसे साभार लूसिल क्लिफ़्टनऔर वार्सन शायरअश्वेत कवयित्रियों की दो पीढ़ियों की प्रतिनिधित्व करती हैं। 1936 में न्यूयॉर्क में जन्मी लूसिल अपनी स्त्रीवादी और...
View Articleप्रेम लहरी : मिथक, इतिहास और किस्सागोई
प्रेमलहरी मुग़ल शहज़ादी और एक कवि के प्रेम का आख्यान है. आप इसे असफल प्रेम का आख्यान भी कह सकते हैं लेकिन प्रेम तो अपने होने में ही सफल हो जाता है. एक स्पर्श में, एक चुम्बन में, एक भाव में... उसकी असफलता...
View Articleक्या होगा जब खनिजों में बदल जायेंगे हम : अहमद फ़हीम की कविताएँ
असुविधा हमेशा से युवा साथियों का मंच रहा है. हमारी कोशिश रही है कि एकदम ताज़ा स्वरों को यहाँ प्रस्तुत किया जाए. अहमद फ़हीम की कविताएँ मुझे कुछेक दिन पहले मेल पर मिलीं. ये एकदम से चौंकाने वाली कविताएँ...
View Articleकुली लाइंस से एक अंश : यह जहाज जगन्नाथ के मंदिर की तरह है
हाल ही में वाणी प्रकाशन से आई प्रवीण झाकी किताब "कुली लाइंस"ख़ूब चर्चा में है. गिरमिटिया मज़दूरों के जीवन और इतिहास पर आधारित इस किताब में प्रवीण का ज़बरदस्त रीसर्च दिखता है. इधर हिंदी में जिस तरह नॉन...
View Articleमृत्युंजय की कविताएँ
हिन्दी कविता की दुनिया का तो नहीं पता लेकिन आलोचना की दुनिया 'प्रतिबद्ध'और 'कलावाद'की एक अबूझ बायनरी और दोनों ही पदों की एक भ्रष्ट समझ से बनती है अक्सर. कला की उपस्थिति को कलावाद मान लेने का एक असर यह...
View Articleअनघ शर्मा की कहानी : एक बालिश्त चाँदनी!!
युवा कथाकार अनघ शर्मा का पहला कहानी संकलन "धूप की मुंडेर"अभी हाल ही में राजकमल प्रकाशनसे आया है. उसी संकलन से एक कहानी. “डाल दिया रे पानी पे बिछौना,किसने किया रे ये पानी पे बिछौनाससुर हमारे चौधरी,सास...
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