नींव,दीवार,छत थे पिता
पितृशोक के इस दौर में अग्रज कवि निरंजन श्रोत्रियने संवेदना सन्देश के साथ यह कविता भी भेजी थी. आज असुविधा पर यह आप सबके लिए...पिता उन दिनों पिता उन दिनोंपिता जैसे नहीं हुआ करते थेरौब और ख़ौफ से रिक्त...
View Articleतोतापन, काव्यधर्मिता और रघुवीर सहाय
रघुबीर सहाय की काव्य-धर्मिता· उमेश चौहानरघुबीर जी आज जीवित होते तो हिन्दी के तमाम शीर्षस्थ कवियों के हमउम्र होते और श्रेष्ठतम समकालीन कवि होते। मृत्यु के उपरांत भी कविता की...
View Articleमैं जीवित रहूँगी सदा प्रेम करने वालों की यादों में दुःख बनकर
पिछले दिनों की घटनाएं पढ़ते हुए मुझे हिंदी की महत्वपूर्ण कवि सविता सिंहके संकलन 'नींद थी और रात थी' की कुछ कवितायें बार-बार याद आती रहीं. बलात्कार जैसा विषय अभी हाल तक हमारी सार्वजनिक बातचीत ही नहीं...
View Articleक्रोध और आँसू की सम्मिलित भाषा में - देवयानी भारद्वाज
देवयानीने यह कविता मुझे कोई दो दिन पहले भेजी थी. हालिया घटनाओं का असर तो था ही, इस बहाने देवयानी ने यहाँ एक औरत की ज़िन्दगी के उन तमाम कटु अनुभवों को एक अवसादपूर्ण आवेग के साथ रख दिया है. पितृसत्ता की...
View Articleयह लगभग नामुमकिन है कि कोई लेखक अपनी रचना प्रक्रिया बता सके- कुमार अम्बुज
ख्यात कवि कुमार अम्बुज से प्रीति सिंह परिहार का यह साक्षात्कार किंचित संपादित रूप में प्रभात खबर में प्रकाशित हुआ था. कवि की अनुमति से यहाँ यह अविकल रूप में...* आपके लेखन की शुरुआत कैसे हुई, ये एहसास...
View Articleजागता रहे एक सुनहली शाम का वहम - वंदना शर्मा
असुविधा के पाठक वंदना शर्मा से परिचित हैं. आज उनकी यह कविता उन्हें जन्मदिन की अशेष शुभकामनाओं के साथ मैक्स लायेंजा की पेंटिंग यहाँसे 'दुनिया सिर्फ रोक गार्डन है'ढाढस् बंधाती हूँ कि अब कच्चे नही रहे...
View Articleअसुविधा टाकीज़- बिलवड : एक अनोखी-हॉन्टिंग फ़िल्म
विजय शर्मा फ़िल्में तो बहुत देखीं, तरह-तरह की फ़िल्में देखीं। मगर बिलवड जैसी न देखी। ऐसी फ़िल्में रोज-रोज नहीं बनती हैं। टोनी मॉरीसन मेरी एक पसंदीदा उपन्यासकार हैं, उनका पुलित्ज़र पुरस्कार प्राप्त...
View Articleसंकट हिंदी कविता नहीं असल में हिंदी आलोचना का है
(यह आलेख परिकथा के युवा कविता अंक में छपे एक आलेख का परिवर्तित, परिवर्धित और संशोधित रूप है, जिसे ‘चिंतन दिशा’ मेंसमकालीन कविता पर चल रही बहसके लिए फिर से लिखा गया. ) क्रिस लोखार्ट की पेंटिंग यहाँ से...
View Articleबहादुर पटेल की कवितायें
बहादुर पटेलमितभाषी हैं..जीवन में भी और कविता में भी. उनसे बात करते हुए उस तड़प और उस सतत सक्रिय मानस को समझ पाना अक्सर बहुत मुश्किल होता है जिससे उनके साहित्यिक सरोकार संचालित होते हैं. उनकी कवितायें...
View Articleअस्त्राखान की हिंदी सराय वाया पुरुषोत्तम अग्रवाल
सौरभ बाजपेयी "हिंदीसराय: अस्त्राखानवायायेरेवान " नामअपनेआपमेंहीएकद्वैधछुपायेहै।हिंदीसरायएकजानापहचानासानामलगताहै।हिंदीयानिहिंदुस्तानीऔरसराय...
View Articleपाठ्य पुस्तकें और राष्ट्रीय कविता - कुमार अम्बुज
कुमार अम्बुज जी का यह लघु आलेख एक बेहद महत्वपूर्ण विषय को उठाता है. एक ख़ास तरह की कविता को "राष्ट्रीय कविता" कहने का चलन रहा है. जैसे अंग्रेजों के ख़िलाफ़ या पाकिस्तान-चीन जैसे "शत्रु" राष्ट्रों के...
View Articleलाल्टू की कवितायें
लाल्टू हिन्दी कविता की मुख्यधारा से बाहर रहकर आपरेट करने वाले कवि हैं. 'मुख्यधारा' यानि संस्था, अकादमी, पुरस्कार,यात्रा वाले खेलों की रंगभूमि से अकसर अनुपस्थित. मुख्यधारा यानि...
View Articleदुष्यंत क्यों रक्तबीज हो गए हैं? - बसंत जेटली
पारम्परिक आख्यानों का कविता में प्रवेश और उनसे नए पर कुछ कहने का प्रयास हिंदी में कोई नई चीज़ नहीं है. मिथक हों या इतिहास, उनके मूल में उस काल की सामाजिक-राजनीतिक अवस्थितियों से निर्मित परिवेश और आदर्श...
View Articleराजेश जोशी की कवितायें
राजेश जोशीहमारे समय के बेहद ज़रूरी कवि हैं. विचारधारा के क्षय के इस दौर में पिछले चार दशकों से वह जिस ज़िद और जिस उत्साह के साथ कविता को परिवर्तन के हथियार की तरह बरतने की कोशिश कागज़ से सड़क तक करते...
View Articleकहानियों में प्रेम और प्रेम की कहानी - राकेश बिहारी
राकेश बिहारी एक समर्थ कहानीकार ही नहीं, कहानी के एक जिम्मेदार आलोचक हैं. अभी उनकी कथा-आलोचना की पहली किताब शिल्पायन से छप कर आई है. इसी किताब से युवा कहानीकारों (जिन्हें वह भूमंडलोत्तर समय के कहानीकार...
View Articleनेहा नरुका की कवितायें
नेहा नरुका की कवितायें अभी बिलकुल हाल में सामने आई हैं. इन कविताओं को पढ़ते हुए दो तरह के ख्याल आते हैं- पहला यह कि कहीं ये अतिरिक्त सावधानी से अपनाई हुई विद्रोही मुद्रा तो नहीं है और दूसरा यह कि एक...
View Articleरघुवंश मणि की एक कविता
रघुवंश मणिहिंदी के लब्ध-प्रतिष्ठ आलोचक हैं. पिछले दिनों उन्होंने समकालीन तीसरी दुनिया के ताज़ा अंक में प्रकाशित यह कविता पढने के लिए भेजी. इस कविता को देश में भेद्य तबकों के साथ लगातार हो रहे...
View Articleदुःख से कितना भी भरी रहे एक कविता एक समुद्र का विकल्प होती है.- अरविन्द की...
अरविन्द की कवितायें इधर पत्रिकाओं और ब्लाग्स में लगातार आई हैं. उनके यहाँ कविता के लिए ज़रूरी ताप भी है और वह मिनिमलिज्म भी जो इधर अक्सर या तो कम होता गया है या एक गूढ़ और अपठनीय शिल्प में...
View Articleयुवा नाट्य समारोह 2013:एक रिपोर्ट
मंजरीश्रीवास्तव दिल्लीमेंहरवर्ष जनवरीकामौसमतोभारतरंगमहोत्सवकीवज़हसेरंगारंगहोताहीहैपरइसवर्षतोरंगमहोत्सवकीइसश्रृंखलाकोसाहित्यकलापरिषद्, दिल्ली नेअपनेआयोजन 'युवानाट्यसमारोह'...
View Articleलैटिन अमेरिका से कुछ कवितायें
पिछले दिनों लैटिन अमेरिकी कवियों के मार्टिन एस्पादा द्वारा संपादित संकलन ' पोएट्री लाइक ब्रेड' को पढ़ते हुए कई कविताओं का अनुवाद भी किया...उन्हीं में से कुछराबर्टो सोसाकी कवितायें राबर्ट सोसा साझा दुःख...
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