मलाला के लिए चिट्ठी
जानते हैं न आप मलाल युसुफ़जाईको? वही बच्ची जो रावलपिंडी के एक हस्पताल में मौत और ज़िंदगी के बीच संघर्ष कर रही है...वही बच्ची जो तालिबानी हत्यारों से अपने पढने के हक के लिए लड़ रही थी...कल एक पूर्व...
View Articleनरेश सक्सेना के संकलन सुनो चारुशीला पर नलिन रंजन सिंह
नलिन रंजन सिंह‘सुनो चारुशीला’ नरेश सक्सेना का दूसरा कविता संग्रह है। पहला संग्रह ‘समुद्र पर हो रही है बारिश’ पाठकों और आलोचकों द्वारा पहले ही सराहना प्राप्त कर चुका है। नरेश सक्सेना पिछले 54 वर्षों से...
View Articleहम दोनों के बीच हारमोनियम एक चरखे की तरह है - हेमंत देवलेकर
हेमंत देवलेकरकी ये कवितायें मुझे प्रिय मित्र नीलोत्पल के मार्फ़त मिलीं. इनसे पहले हेमंत भाई को मैं एक सक्रिय रंगकर्मी के रूप में ही अधिक जानता था. उनके सद्य-प्रकाश्य संकलन से ली गयीं इन इन कविताओं से...
View Articleशिवमूर्ति के यहाँ कर्ता और कहनहारे का फ़र्क मिट जाता है - विवेक मिश्र
हमारे समय के बेहद ज़रूरी किस्सागो शिवमूर्ति जी पर लिखा विवेक मिश्र का यह आलेख लमही पत्रिका के शिवमूर्ति अंक में छपा है. अपनीमँड़ईयाके'शिव' राजाएकरचना,...
View Articleसोफे पर ढहे हुए मेरे वीर सूरमा - अनूप सेठी की एक कविता
भाई अनूप सेठीने यह कविता अपने संग्रह से भेजी थी, इस टीप के साथ कि 'अभी अपने संग्रह की कविताएं किसी काम से देख रहा था तो इस कविता पर अटक गया. और आप दोनों का ख्याल आया. पता नहीं आपने इसे पहले पढ़ा है या...
View Articleबुढ़ापा धरती की बर्फ़ ही तो है - वंदना शुक्ला
पेशे से शिक्षक, प्रशिक्षण से ध्रुपद गायक और मूलतः कहानीकार तथा विचारक वंदना शुक्ला की कुछ कवितायें यहाँ-वहाँ प्रकाशित हुई हैं और इन कविताओं पर कहानी तथा वैचारिकता का प्रभाव बखूबी लक्षित किया जा सकता...
View Articleतुषार धवल की ताज़ा कविता
तुषार धवलहिंदी के उन युवा कवियों में से है जिसने कभी भेड़चाल का हिस्सा बनना स्वीकार नहीं किया. वह चुपचाप अपने तरीके से शिल्प और कथ्य दोनों की तोड़-फोड़ करता रहता है और हिंदी के सत्ता विमर्श के कानफोडू...
View Articleरुपाली सिन्हा की कवितायें
रूपाली सिन्हा से मेरा परिचय कालेज के दिनों का है. हमने एक छात्र संगठन में काम किया है, न जाने कितनी बहसें की हैं, लडाइयां लड़ी हैं और इस डेढ़ दशक से भी लम्बे दौर में शहर दर शहर भटकते हुए भी दोस्त रहे...
View Articleये पब्लिक है, सब जानती है!
युवा कवि अमित श्रीवास्तवअपनी धारदार राजनीतिक कविताओंके लिए जाने जाते हैं. उन्हें आप असुविधा पर पहले भी पढ़चुके हैं. इस पार पढ़िए उनका राजनीतिक व्यंग्य...उतना ही तीखा...उतना ही धारदार एंट्री पोल"बताया...
View Articleसीता आज भी धरती के गर्भ में समा जाती है
देवयानी भारद्वाजको आपपहले भी असुविधापर पढ़ चुके हैं. यह कविता उन्होंने कुछ दिन पहले भेजी थी. हाल ही में बीते दशहरे से इसका संबंध सहज ही देखा जा सकता है, लेकिन यह सिर्फ वहीँ तक सीमित नहीं बल्कि उससे...
View Articleआनंद कुमार द्विवेदी की ग़ज़लें
आनंद कुमार द्विवेदीको मैंने फेसबुक से ही जाना. दिल्ली में एक बहुत छोटी, लेकिन आत्मीय मुलाक़ात के अलावा उनसे मेरा सम्पर्क नेट से ही है. बीच-बीच में उनके कुछ शेर यहाँ-वहाँ देखे और ग़ज़ल के व्याकरण से...
View Articleजनतंत्र में कचहरी मृगतृष्णा है गरीब की - जितेन्द्र श्रीवास्तव की ताज़ा कवितायें
जितेन्द्र श्रीवास्तव की ये ताज़ा कवितायेँ कुछ दिनों पहले मेल से मिलीं. उनकी कविताओं से मेरा नाता पुराना है - गोरखपुर के दिनों का. बहुत जल्दी शुरू करके और लगातार बहुत अच्छा लिखते हुए वह अब उस मुकाम पर...
View Articleफिल्मनामा : सोफी'ज़ च्वायस पर विजय शर्मा का आलेख
1979 में विलियम स्टाइरेन के लिखे उपन्यास पर आधारित फिल्म सोफी'ज च्वायस 1982 में बनी थी. यह फिल्म सबसे अधिक याद की जाती है मेरिल स्ट्रीप की अदाकारी के लिए, जिन्हें इस फिल्म में अपनी भूमिका के लिए अकादमी...
View Articleविशाल श्रीवास्तव की कविताएँ
इन कविताओं का रचना समय अलग-अलग है। एक कविता बिल्कुल नयी है, शेष पहले लिखी गयी हैं। इधर हाल की घटनाओं ने मुझे भीतर तक आहत किया है। आज के समय में एक बार पुनः साम्प्रदायिक उभार सामने आ रहा है और साथ ही...
View Articleकिस्सागोई करती आँखें - प्रदीप कान्त
प्रदीप कान्त इधर की हिंदी ग़ज़ल के एक ज़रूरी युवा चेहरे हैं. उनके यहाँ देसज बिम्बों से बनी एकदम सहज भाषा में बिना किसी अतिरिक्त मेहनत के बड़ी बात कह देने का जो शऊर है, वह पहली नज़र में ही बड़ी मुश्किल...
View Articleमिथिलेश कुमार राय की कविताएँ
मिथिलेश की कविताएँ इधर पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से दिख रही हैं. समकालीन कविता के शहराती परिवेश के बीच मिथिलेश ग्रामीण जीवन की स्मृतियाँ ही नहीं अपितु उसके साथ वहां की विडंबनायें और उपेक्षित रह...
View Articleअमिय बिंदु की लम्बी कविता
२२ जुलाई १९७९ को जौनपुर के एक गाँव में जन्में अमिय बिंदु की कविताएँ कुछ पत्र-पत्रिकाओं में छपी हैं. ग्रामीण समाज के गहरे अन्तर्विरोध और सतत वंचना से उपजे दैन्य उनकी कविताओं का चेहरा ही नहीं उनकी आत्मा...
View Articleगाज़ा में सुबह - मृत्युंजय की ताज़ा कविता
गाज़ा में युद्धविराम हो गया है। पिछले कुछ दशकों में वहाँ इस युद्ध और विराम की इतनी (दुर) घटनाएं हुई हैं कि अब न तो युद्ध से वह दहशत पैदा होती है न विराम से वह सुकून, बल्कि यह कहना अधिक उचित होगा कि एक...
View Articleपंजाबी कवि गुरप्रीत की कुछ कविताएँ
असुविधा पर आप भाई जगजीत सिद्धू के मार्फ़त पहले भी कुछ पंजाबी कवियोंको पढ़ चुके हैं, इस बार पढ़िए वरिष्ठ कवि गुरप्रीत की कुछ कवितायेंगुरप्रीत पंजाब के एक ऐसे कवि है जिनकी कवितायों के विषय भी उनकी भाषा...
View Articleश्रद्धांजलि - महेश अनघ
१४ सितम्बर १९४७ - ४ दिसंबर २०१२ हिंदी के जाने-माने नवगीतकार महेश अनघ नहीं रहे. कल उनके निधन की सूचना मिली तो क्या-क्या कुछ याद आ-आके रह गया. ग्वालियर के बिलकुल आरम्भिक दिनों में वह शास्त्रीनगर में मेरे...
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